स्वानसी: मौन की यात्रा करता एक शहर !


लंदन से जब मैं बस में बैठा तो मुझे पता नहीं था कि मैं जिस रास्ते पर जा रहा हूँ वह रास्ता मुझे प्रकृति के बीच बसी एक अनजान और ऐतिहासिक दुनिया की ओर ले जा रहा है जहाँ एक अतीत बरसों से छुपा हुआ था। ब्रिस्टल होते हुए जब हमारी बस कार्डिफ़ पहुँची तो वहाँ की मुख्य सड़क पर से जो विशाल पुरानी इमारतें दिखाई दे रही थीं, वे मुझे आकर्षित करने के साथ-साथ अचंभित भी कर रही थीं। इन विशाल ऐतिहासिक इमारतों के बारे में सोच ही रहा था कि अचानक खिड़की की तरफ़ ध्यान गया तो मैंने पाया कि बस सड़कों पर दौड़ती हुई एक बार फिर प्रकृति के आगोश में आ चुकी है। और सड़क के दूसरी ओर विशाल समुद्र भी अब दिखाई दे रहा था।

समुद्र के किनारे चलते हुए जब आप अपने आप से मिलते हैं तो पाते हैं कि ज़िंदगी रात और जज़्बात में सिमट गई है। एक तरफ़ लहरों का उठता शोर आपको अपने मन के आवेग के साथ बहा ले जाने को आतुर तो दूसरी तरफ़ आसमान में ठहरा हुआ चाँद आपको अपने साथ बात करने के लिए उत्साहित करता है। जी हाँ, इस बार नियति मुझे लेकर पहुँची यूनाइटेड किंगडम के एक शहर, स्वानसी। यहाँ की प्राचीन भाषा में स्वानसी शब्द का अर्थ है ‘नदी का मुँह’। यह शहर तावे (या टॉवी) नदी के मुहाने पर खड़ा है।

इतिहास एवं व्यापार

कैसे एक बन्दरगाह धीरे-धीरे कई बार नष्ट होने के बाद फिर से उठ खड़ा हुआ और ना सिर्फ़ उठ खड़ा हुआ बल्कि अपने को वेल्स के साथ-साथ पूरे यूरोप के प्रमुख शहरों में भी शामिल किया,यह सब स्वानसी के इतिहास से पता चलता है।

12वीं शताब्दी के शुरुआती दिनों में स्वानसी शहर की स्थापना की गई थी जब नॉर्मन्स ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की थी। नॉर्मन लॉर्ड ने वॉर्सेस्टर प्लेस की साइट पर एक लकड़ी का महल बनाया (इसे 13वीं शताब्दी की शुरुआत में पत्थर से बनाया गया था)। एक शहर जल्द ही यहाँ विकसित हुआ। स्वानसी महल की चौकी ने शहरवासियों के सामानों के लिए एक बाज़ार उपलब्ध कराया। जहाँ कई अंग्रेज़ी आप्रवासी थे। 1158-84 के बीच कुछ समय में स्वानसी को एक चार्टर (शहरवासियों को कुछ अधिकार प्रदान करने वाला एक दस्तावेज़) दिया गया था। किंग जॉन ने स्वानसी को 1215 में एक और चार्टर दिया।

13वीं शताब्दी तक स्वानसी एक फलता-फूलता शहर था, हालाँकि यह लगभग 1,000 की आबादी के साथ उस समय का छोटा शहर था। उन दिनों कई शहर बहुत छोटे थे, खासकर वेल्स शहर।

स्वानसी के इतिहास को पढ़ते हुए हम यह महसूस कर सकते हैं कि यह शहर अपने इतिहास में कई बार नष्ट हुआ है। इसके अवशेष और खंडहर अपने इतिहास को खुद बयान करते दिखाई देते हैं।


मध्यकालीन स्वानसी में मुख्य उद्योग चमड़े और ऊन थे। स्वानसी में ऊन बुना जाता था। यहाँ एक जहाज़ निर्माण उद्योग के साथ एक साप्ताहिक बाज़ार भी था। दो मेले भी लगते थे। मध्य युग में मेले बाज़ारों की तरह होते थे लेकिन उन्हें वर्ष में केवल एक बार आयोजित किया जाता था। स्वानसी मेले में भाग लेने के लिए पूरे दक्षिण वेल्स से लोग आते थे।

मध्य युग में स्वानसी को पोर्ट्रीव नामक एक अधिकारी द्वारा चलाया जाता था। 14वीं शताब्दी तक, पोर्ट्रीव को 12 एल्डरमेन द्वारा सहायता प्रदान की गई थी। सभी शहरों की तरह स्वानसी (1348-49) की ब्लैक डेथ से तबाह हो गई थी जिसने इस शहर की आधी आबादी को मार दिया था। लेकिन यह शहर फिर से उठ खड़े होने के लिए ही बना था।

16वीं शताब्दी के मध्य में लगभग 1,000 की आबादी थी, लेकिन 17वीं शताब्दी के मध्य तक यह लगभग 2,000 हो गई। दक्षिण वेल्स में कोयला खनन के रूप में स्वानसी का बंदरगाह व्यस्त हो गया। यहाँ से कोयले की बढ़ती मात्रा का निर्यात किया गया था। 17वीं शताब्दी तक इस बंदरगाह से लोहा भी निर्यात किया जाने लगा था।

स्वानसी में जहाज़ निर्माण जारी रहा। इसलिए ऊन की बुनाई का उद्योग शुरू किया गया। थोड़े समय के बाद इस जगह को दस्ताने बनाने के लिए भी जाना जाने लगा था। 16वीं शताब्दी तक यहाँ अब दो के बजाय तीन मेले लगने लगे थे। यह एक प्राचीन बंदरगाह था जो 16वीं सदी में एक शहर में तब्दील हुआ। यह बंदरगाह परिवहन (शिपिंग) और विदेशी आक्रमणों का सामना करने के लिए सुविधाजनक था।

स्वानसी महल 15वीं शताब्दी में ओवेन ग्लेनडॉवर द्वारा क्षतिग्रस्त हो गया था। यह अंततः 1647 में सांसदों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था ताकि इसे कभी भी रॉयलिस्टों द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जा सके।

दूसरी ओर 1682 में स्वानसी में एक व्याकरण स्कूल की स्थापना की गई और 1750 तक स्वानसी की आबादी लगभग 3,000 थी। अब इस शहर में एक व्यस्त छोटा बंदरगाह और बाज़ार था। 1771 में इस शहर ने अपना पहला बैंक और 1785 में अपना पहला थिएटर हासिल किया।

18वीं शताब्दी के अंत में स्वानसी के बाज़ार में उछाल आना शुरू हुआ। 1764 में एक मिट्टी के बर्तन संयंत्र की स्थापना की गई थी। 19वीं शताब्दी के दौरान मिट्टी के बर्तन एक महत्वपूर्ण उद्योग बन गए। 1777 से यहाँ जस्ता बनाने की शुरुआत की गयी थी। 19वीं शताब्दी में स्वानसी धातु उद्योग का एक केंद्र बन गया। तब जस्ता और तांबे की बड़ी मात्रा बंदरगाह के माध्यम से निर्यात की जाती थी। 1845 के बाद स्वानसी में टिनप्लेट बनाया गया। 19वीं शताब्दी के अंत तक टिनप्लेट उद्योग फल-फूल रहा था।

19वीं शताब्दी के दौरान स्वानसी का बंदरगाह भी वेल्स के व्यस्ततम बंदरगाहों में से एक था। इसे स्वानसी नहर से मदद मिली, जिससे बंदरगाह से भारी मात्रा में कच्चे माल को ले जाना आसान हो गया। 1791 में हार्बर कमिश्नर्स नामक पुरुषों के एक समूह का गठन बंदरगाह की ज़िम्मेदारी के साथ किया गया था। नॉर्थ डॉक 1852 में बनाया गया था। इसके बाद 1859 में साउथ डॉक बनाया गया। 1881 में प्रिंस ऑफ वेल्स डॉक, तावे के पूर्वी तट पर बनाया गया था।

19वीं शताब्दी के दौरान स्वानसी की आबादी तेज़ी से बढ़ी। 1801 में यह लगभग 6,800 थी। लेकिन 1841 तक आते-आते यह 16,000 से अधिक हो गयी थी। सदी के अंत तक यह 100,000 से अधिक हो चुकी थी। अन्य सभी शहरों की तरह 19वीं सदी के आते-आते, स्वानसी अत्यधिक भीड़भाड़ वाली, गंदी और अस्वच्छ जगह हो गयी थी। 1832 और 1849 में स्वानसी में हैजा जैसी महामारियाँ थीं।

फिर भी 19वीं शताब्दी में स्वानसी में कुछ सुधार हुए। 1808 में एक डिस्पेंसरी खोली गई, जहाँ पर गरीबों को मोटे तौर पर रखा जा सकता था।

अनुभव

अंतर्मन से पुकारता और सिटी एंड काउंटी ऑफ़ स्वानसी के नाम से जाना जाने वाला यह शहर स्वानसी दक्षिणी पश्चिमी तट पर गायर के प्राचीन वेल्स के समीप स्थित है। इस क्षेत्र में स्वानसी बे और गायर प्रायदीप शामिल है। यह वेल्स का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। नक्शों के हिसाब से इस शहर को 11वीं-12वीं सदी (1158-1184) के बीच बसाया गया था। 150 वर्ग कि.मी. में बसे इस शहर ने मुझे अपने शांत रहन-सहन के कारण बहुत आकर्षित किया।

पाषाण युग, कांस्य युग और फिर लौह युग देखते इस शहर को रोमन लोगों ने अपने कब्ज़े में लिया। तावे नदी इस शहर के बीचों-बीच से निकलती है। समुद्र के किनारों पर बसे छोटे-छोटे पठारों के ऊपर बसे इस शहर में एक प्राकृतिक गहराई और स्थिरता दिखाई पड़ती है। जो प्रकृति के साथ सृजन मे लिप्त है। समुद्र के किनारे से लगा हाईवे यहाँ की मुख्य सड़क है, जो यूनाइटेड किंगडम के मुख्य शहर लंदन से इसे जोड़े रखती है।

खिड़की के रास्ते शाम का शोख़ और रंगीन नज़ारा जब सेंटर से दिखाई देने लगा तो मैंने और मेरे साथी ने तय किया कि इस नज़ारे का मज़ा पैदल चलकर ही लिया जाना चाहिए। लगभग तीन कि॰मी॰ का यह सफ़र हमने इस शहर के साथ बतियाते हुए तय किया, जहाँ सड़क के एक ओर स्वानसी अपनी हरियाली पहाड़ों पर फैलाए हुए है तो सड़क के दूसरी र समुद्र की अथाह जलराशि की हिलोरों का स्वर शाम के धुँधलके को और मनमोहक बना रहा था। काश यह शाम समय से परे होती।

 

सड़क पर चलते हुए दूसरी तरफ़ समुद्र अपनी विशाल लहरों से मुझे आकर्षित कर रहा था। समुद्र की हर लहर मुझे पृथ्वी पर मौजूद किसी व्यक्ति की भावनाओं जैसी लगती थी। ये असंख्य भावनाएँ पता नहीं कहाँ से बहती हुई आती हैं और पता नहीं किस तट पर आकर समाप्त हो जाती हैं। मेरी भावनाओं का आवेग भी समुद्र की इन लहरों के साथ हिलोरे लेता हुआ गोते लगाने लगा। पता नहीं मेरी भावनाएँ दुनिया के किस समुद्र तट पर जाकर समाप्त होंगी।

दूर समुद्र के बीच कहीं नौकाओं का झुंड अपनी रंग-बिरंगी पताकाओं के साथ दिखाई दे रहा था, जो क्षितिज पर कहीं इंद्रधनुष का आभास दे रही थी। आम इंसान 20X50 का घर बनाने में पूरी ज़िंदगी लगा देता है। लेकिन मैंने देखा कि वे लोग जिनका आशियाना नौकाओं पर होता है, वे ज़मीन के मोहताज़ नहीं होते है। समुद्र पर अपनी नौकाओं को ही टापू बना लेने वाले ये लोग समुद्र को अपना देवता मानते हैं जो इनके लिए मछलियों का भोजन प्रदान करता है।

सड़क के एक ओर स्थित हरियाली ओढ़े पहाडों की कतारें और दूसरी तरफ़ स्थित समुद्र मिलकर, इस शहर के चेहरे पर जीवन के सौन्दर्य के प्रति लगातार स्वीकार्य की एक मुद्रा अंकित कर रहे थे। अगर वाकई आप कुछ रचना चाहते हैं तो यह शहर आपको बुलाता है और साथ में लुभाता भी है।

स्वानसी के पास एक आकर्षक समुद्री इतिहास है, जो एलिज़ाबेथन नदी के किनारे से लेकर अपने वर्षों तक एक लोकप्रिय समुद्र तटीय सैरगाह के रूप में है, जो शहर के लोगों, मध्यवर्गीय आगंतुकों को आकर्षित करता है।

हल्के लाल आसमान में दिखाई देता वेल्स का ये शहर अपनी शान्ति के साथ-साथ लोगों के दिलों में भी बस रहा है। लोग अपने परिवार के साथ शाम को टहलने निकलते हैं। छोटे-छोटे घरों में बनी कार पार्किंग की जगह ने मुझे बहुत आकर्षित किया। यहाँ आप शांति को महसूस कर पाते हैं। छोटे-छोटे बस स्टॉप, जहाँ क्का-दुक्का बसें खड़ी रहती हैं। यहाँ के लोगों में कोई जल्दबाज़ी दिखाई नहीं देती। हर चीज़ अपने ठहराव के साथ मौजूद दिखाई पड़ती है।

“ठहराव की उम्मीदें खुद को पूरा करती हैं।”

और शायद इसी कारण यह शहर अपने आप को पूरा करता है। जो इस शहर की जीवनशैली देखकर महसूस होता है। प्रकृति से जुड़े रहकर भी तमाम सुख-सुविधाएँ आपको इस शहर में मिल जाती हैं।

मैंने अपने आसपास महसूस किया कि इस जगह की मिट्टी में भी एक ठहराव है जो शायद पहाड़ों के कारण है। पहाड़ों पर बसे इन घरों को देखकर लगता ही नहीं कि इनमें कोई रहता भी है। पहाड़ को काटकर बनाई गयी सड़क के दोनों ओर हल्की मद्धिम पीली रोशनी लिए स्ट्रीट लाइट जल रही थी। और ऊपर चाँद बादलों के साथ लुका-छिपी खेल रहा था। सड़क पर पीली मद्धिम रोशनी फैली हुई थी। थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सड़क के किनारे बैठने के लिए बेन्चें लगी हुई थीं।

यह वेल्स का वह स्थान है जहाँ से इस शहर ने पूरी दुनिया में कोयला और स्टील की आपूर्ति की। सिटी सेंटर के भीतर महल,मरीनागेलिन विवियन आर्ट गैलरी , स्वानसी संग्रहालय , डायलन थॉमस सेंटर , पर्यावरण केंद्र और पुराने बाज़ार के खंडहर भी देखने को मिलते हैं, जो वेल्स में उस समय का सबसे बड़ा बाज़ार था राष्ट्रीय वाटरफ्रंट संग्रहालय भी है जिसमें रिचर्ड ट्रेविथिक का 1802 लोकोमोटिव इंजन भी है। नेशनल वाटरफ्रंट म्यूज़ियम वेल्स के अतीत, वर्तमान और भविष्य के नवाचार और उद्योग में योगदान की प्रेरक कहानी कहता है।


डायलन थॉमस सेंटर के अंदर कदम रखते ही हल्की पीली रोशनी के साथ एक ऐतिहासिक खुशबू आपको अपनी गिरफ़्त में लेती है। ये खुशबू वहाँ रखे स्वानसी के कुछ ऐतिहासिक दस्तावेज़ों की है। सेंटर में कदम रखते ही एक आवाज़ आपका ध्यान आकर्षित करती है। जो स्पीकर से आपके चारों तरफ़ गूँजती रहती है। आवाज़ में काफ़ी भारीपन सुनाई देता है। जो अपने समय की एक स्पष्ट आवाज़ के रूप में पहचानी गयी। वह आवाज़ जो अपने आसपास हो रही सभी घटनाओं का स्पष्ट ब्यौरा देती प्रतीत होती है। ये आवाज़ मन को उद्वेलित करती है। समुद्र की अथाह गहराई से आती आवाज़ लहरों के रूप में आपके मन की दीवार से बार-बार टकराती है। अपनी कविता में डायलन थॉमस एक प्रेमी के रूप में दिखाई पड़ते हैं। हालाँकि उनकी कविताओं में प्रकृति प्रेमी होने का एहसास है तो साथ ही साथ अपने आसपास देश में हो रही राजनैतिक गतिविधियों पर भी पैनी नज़र है।

दो दे सिंक थ्रू द सी दे शैल राइस अगेन;

दो लवर्स बी लॉस्टलव शैल नॉट

एंड डैथ शैल हैव नो डॉमिनियन ”

या फिर

व्हेन वी वर स्ट्रेंजर्स टु द गाइडेड सीज़,

अ हैंडमेड मून हाफ़ होली इन अ क्लाउड ,

वाइज़मैन टेल मी देट द गार्डेन्स गॉड्स,

ट्वीनड गुड एंड एविल ऑन एन ईस्टर्न ट्री 

(इंकारनेट डेविल)

या फिर इन कंट्री स्लीप कविता की चंद पंक्तियाँ-

“एंड यू शैल वेक,फ्राम कंट्री स्लीप,दिस डॉन अँड ईच फ़र्स्ट डान,

यूअर फ़ेथ एज़ डेथलेस एज़ द आउट क्राय ऑफ़ द रूल्ड सन ”

अपने समय के प्रसिद्ध कवि डायलन थॉमस का जन्म स्वानसी के अपलैंड्स क्षेत्र में कुडॉन्किन ड्राइव में हुआ था और उनके कई काम स्वानसी बे, मुंबल्स और गोवर के आसपास और कई जगहों से प्रभावित थे। डायलन थॉमस सेंटर शहर के बीच स्थित है। 'लव द वर्ड्स' प्रदर्शनी, डायलन के जीवन, काम और विरासत की कहानी बताती है, उनका जन्म से 27 अक्टूबर 1914 को स्वानसी में और मृत्यु 9 नवंबर 1953 को न्यूयॉर्क में हुई थी। डायलन थॉमस सेंटर पूरे वर्ष कई कार्यक्रमों की मेज़बानी करता है। 1995 में ‘टी लेन’ (साहित्य का घर) के रूप में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा खोला गया था। जो खुद भी डायलन थॉमस के काम के एक बहुत बड़े प्रशंसक रहे

2014 में पूरे यूरोप ने डायलन थॉमस का जन्म शताब्दी वर्ष बनाया था। यहाँ डायलन थॉमस की यादें सुरक्षित हैं। यह एकमात्र स्थायी प्रदर्शनी है जो वेल्स के प्रसिद्ध कवि, डायलन थॉमस को समर्पित है, और साथ ही नए और स्थापित लेखकों के लिए एक मंच प्रदान करती है।


12वीं शताब्दी की शुरुआत में नॉर्मन हेनरी डी न्यूबर्ग ने वहाँ एक महल का निर्माण किया, जिसे बाद में वेल्स के विद्रोही ओवेन गेलिन सोर ने नष्ट कर दिया। 18वीं शताब्दी की शुरुआत में स्वानसी में एक छोटा बाज़ार और एक कोयला बंदरगाह था। इसके बाद यह एक औद्योगिक केंद्र के रूप में लगातार बढ़ता गया।

स्वानसी का लोक-इतिहास उन केप हॉर्नर्स के साहस को याद करता है जिन्होंने उद्योगों को घर वापस लाने के लिए तांबे-अयस्क के बदले दुनिया भर में वेल्स कोयला दिया था।

इस शहर में तस्करी और जलपोतों के कई किस्से वर्षों से चले आ रहे हैं, समुद्री कलाकारों और अग्रणी फ़ोटोग्राफ़रों ने इन असाधारण समयों को रिकॉर्ड किया है जो यहाँ के राष्ट्रीय वाटरफ्रंट संग्रहालय में दिखाई देते है। और आपको अतीत के स्वानसी का परिचय देते है।

स्वानसी संग्रहालय,यहाँ के जीवन का एक आकर्षक खज़ाना है। इस संग्रहालय में एक बात खास है कि यह स्वानसी और यूरोप के अतीत से आपके वर्तमान को जोड़ता है।

यह संग्रहालय स्वानसी के अतीत से वर्तमान और साधारण से असाधारण का एक वास्तविक खज़ाना है जो इतिहास के उन अनछुए पहलुओं से आपको अवगत कराता है जो समय में कहीं दबे छुपे पड़े हैं। आप दो स्थानों पर स्वानसी संग्रहालय की यात्रा कर सकते हैं – म्यूज़ियम ओस्टरमाउथ रोड पर, और मरीना के डायलन थॉमस स्क्वायर में ट्राम शेड।

पुरातत्वविद् के लिए, चाहे वे उत्साही शौकिया इतिहासकार हो या वैज्ञानिक हो, स्वानसी और गोवर प्रायद्वीप ने एक समृद्ध अतीत का खुलासा किया है। इनमें खुदाई में मिले पाविलैंड की गुफ़ाएँ (ब्रिटेन में सबसे पहले वैज्ञानिक रूप से खुदाई की गई गुफ़ा), कांस्य युग के दफ़्न स्थल, गोवर अस्थि-गुफाएँ,लौह युग की पहाड़ियाँ, मध्ययुगीन इमारतें जो शहर के केंद्र में बनी हुई हैं,प्रमुख हैं। ये सब दक्षिण-पश्चिम वेल्स में मनुष्य के सांस्कृतिक विकास के आश्चर्यजनक इतिहास को प्रकट करने में सहायक है। इतिहास में लिए गए कई निर्णय आधुनिक युग का निर्माण करते हैं।

स्वानसी संग्रहालय एक पुरातात्विक समयरेखा को प्रदर्शित करता है। इस संग्रहालय में इटली,ग्रीस, साइप्रस,साइरेनिया के साथ-साथ कई और देशों की ऐतिहासिक और पुरातन वस्तुओं का संग्रह देखने को मिलता हैं। जिनमें होर नामक मिस्र की एक आकर्षक ममी भी है। ये सब कलाकृतियाँ मिलकर आपको दुनियाभर की ऐतिहासिक समय यात्रा करवाती है।


कला के लिए स्वानसी एक जीवंत केंद्र की तरह है। और कलाकारों की कला प्रदर्शनियों के लिए गेलिन विवियन आर्ट गैलेरी एक मुख्य केंद्र है। रिचर्ड गेलिन विवियन (1835-1910) की मूल वसीयत द्वारा 1911 में स्थापित यह गैलरी स्वानसी शहर और काउंटी से संचालित होती है।

शहर से बाहर निकलते ही प्रकृति आपको अपने आगोश में लेती है। चारों तरफ़ फैली हरियाली के बीच, अपने आप को पा लेना बहुत सुकून देता हैहरी घास के बड़े से मैदानों के बीच इक्का-दुक्का पुराने समय के घर पीली मिट्टी और ईंटों से बने हुए हैं जिन तक पहुँचने के लिए छोटी-छोटी और सँकरी पगडंडियाँ मौजूद हैं। कवेलू की चादर ताने ये घर अपने साथ में एक-दो चिमनियाँ भी लिए हुए हैं। हरियाली के बीच सफ़ेद रंग की खिड़कियों और दरवाज़ों की चौखट के साथ खड़े ये घर बहुत आकर्षित करते हैं।

शहर के बाहर कुछ प्राकृतिक दृश्य आपकी आँखों को आकर्षित करते हैं। जैसे लंबे हरे मैदानों के बीच खड़ा इकलौता घर, उसके आगे हरी-भरी झाड़ियों की बागड़, और दूर-दूर तक फैली हरी घासों पर चरते घोड़े, और मैदान के किनारों से लगी सड़क पर सरपट दौडती गाड़ियाँ।

आसमान में हमेशा की तरह बादल छाए हुए थे। मौसम एकदम ठंडा था। बीच-बीच में हल्की-सी धूप भी खिल आती। हरी-पीली घास के मैदानों से पटे ये छोटे-छोटे पठार धूप और छाँव के बीच एक अद्भुत दृश्य रचते दिखाई पड़ते थे

चलते-चलते हम लोग समुद्र किनारे आ पहुँचे। स्वयं से छुपे बैठे स्वयं को ढूँढने की लालसा इस जगह जन्म लेती हुई दिखाई देती है। लहरों का शोर कानों के रास्ते मन के भीतर जाकर आपको अंदर से एकदम रिक्त कर देता है। यहाँ आकर पाता हूँ कि सचमुच यह पंक्ति सही है-

'नेचर इज़ एक्सटेंशन ऑफ़ लव।



जब रिक्तता से भरे हुए आप स्वानसी के इस समुद्र तट पर चहलकदमी करते हैं तो पाते हैं कि इस रिक्तता का स्थान समुद्र से उठती लहरों की आवाज़ ने ले लिया है, जो डायलन थॉमस की कविताओं द्वारा पूरे शरीर में फैल चुकी है।

 लाइट ब्रेक्स वेयर नो सन शाइन्स

वेयर नो सी रन्स,

द वॉटर ऑफ़ द हार्ट 

पुश इन देयर टाइड्स”

शाम का समय है और मैं समुद्र के किनारे थोड़ी दूरी पर टहल रहा हूँ। ठंडी हवाओं के साथ समुद्र की लहरें मानो मुझ तक पहुँचने की कोशिश कर रही हो। लगा कि ये मुझसे बात करना चाह रही है। पानी पर लिखी इन पंक्तियों को मैं पढ़ना चाहता था। लेकिन यह पल पृथ्वी की तरह मौन है-कुदरत के भेद को होंठों में बंद करके हौले से मुस्कुराता, पर कहता कुछ नहीं। बस इस पल मुझे लगा कि एहसास किसी भाषा का मोहताज नहीं होता।

 


समुद्र के उस पार सूर्य डूब रहा था। सूर्य की किरणें समुद्र के उस तट के किनारों पर फैली हुई बालू रेती पर पड़ रही थी। यहाँ-वहाँ कई सारे कण चमक रहे थे। प्रकृति अपने सारे रंग फैला चुकी थी। ऊपर नीला गाढ़ा आकाश, जो क्षितिज तक जाते-जाते हल्का आसमानी हो जाता। नारंगी आग-सा डूबता सूरज। और नीचे धरती पर फैला हुआ कच्चा हरा। प्रकृति अपना उत्कृष्ट रच रही थी। लगा कि जीवन उतना ही सम्पूर्ण है जितना अतीत में लिए गए निर्णयों से होना चाहिये था।

अपने पीछे देखा तो पाया कि पृथ्वी का पहला और अंतिम प्रेमी सूरज, अपनी प्रेयसी पृथ्वी के लिए अपनी उस दिन की अंतिम पंक्तियों को धूप की स्याही से समुद्र के पानी पर लिखकर लगभग जाने की तैयारी कर चुका था। इस एहसास के सागर में गोते लगाते हुए मुझे पता ही नहीं चला कि आसमान ने कब तारों से सजी अपनी चादर ओढ़ ली थी।

इस गाढ़े अन्धकार में बादलों के पीछे से निकलकर आती चाँद की रोशनी समुद्र तट से होकर स्वानसी के उस गिल्डहाल पर आ चुकी थी जहाँ गिल्डहाल अपनी खामोशी और खालीपन के साथ खड़ा था। मैं गिल्डहाल जा पहुँचा। वहाँ पहुँचकर मैंने महसूस किया कि गिल्डहाल के टॉवर पर लगी घड़ी के पीछे बैठा हुआ मौन इतिहास खालीपन में खोई हुई अपनी आँखों से मेरी ओर देख रहा था जिनमें संदेह झलक रहा था। मैंने बातचीत का सूत्र पकड़ते हुए वहाँ इस तरह छुपे हुए होने का कारण पूछा। उसकी उन उदास आँखों को देखकर लगा कि शायद वह इस प्रतीक्षारत प्रश्न के लिए कई सदियों से वहाँ खड़ा है। शायद प्रश्न को और अधिक स्पष्ट होना था। उसने उदास मुस्कुराहट के साथ मेरी ओर देखा और वापस जा छुपा। उसकी उस उदास मुस्कुराहट में अनेक वर्षों की अवधि का इंतज़ार, आत्मा को कुचल देने वाली पीड़ा जो कि इतने वर्षों उसकी साथी बनी रही, दिखाई पड़ रही थी। कभी-कभी आस्था अति-सरलता की ओर झुक जाती है। संभव है अभी दुनिया को सरलता की आवश्यकता हो। हमें बस मौन की भाषा के सामने समर्पण करना होगा और अपनी आत्मा की आवाज़ को सुनना होगा। मेरी आत्मा की आवाज़ बहुत स्पष्ट थी।

“एहसास अपने अकेलेपन के साथ आता है

जब आपको खुद के अंदर से गुजरना हो

तो खुद को अकेला कर दें”

यह वह पल था जो चुपके से मेरी ओर देख रहा। जहाँ चाँदनी रात थी और आसपास चल रही हवा में उस समय,काल और इतिहास की महक बिखरी हुई थी। और सूखे पत्तों की सरसराहट खामोशी के साथ अपना परिचय दे रही थी। कई सारे रहस्यों से भरे इस गिल्डहाल ने अपने अतीत को वर्तमान की चौखट पर ला खड़ा किया था। जहाँ कई सारी मध्ययुगीन काल की कहानियाँ बिखरी पड़ी हैं जिनमें इस काल के सबसे शक्तिशाली और महत्वाकांक्षी पुरुषों और महिलाओं की कहानियों के साथ इतिहास में की गयी राजनैतिक हत्या, सुविधा से विवाह, धोखेबाज़ी, कुटिल गठबंधन और अपने समय का स्वर्णिम युग आदि भी है।

लगा कि समय के 3 दरवाज़ों - भूत, वर्तमान, और भविष्य में से एक ने अपना पहला विशाल दरवाज़ा मेरे सामने अज्ञात इतिहास को जानने के लिए खोल दिया था। उसके अंदर से एक प्राचीन लेकिन जीवित स्वरों का एक प्रवाह सुनाई दे रहा था जो मुझे आकर्षित करने के साथ-साथ मेरी उत्सुकता को भड़का रहा था। सत्य का यह पल मेरे सामने खड़ा था। इतिहास से हाथ मिलाते आप बरबस ही उस ओर खिंचे चले जाते हैं। अपने पीछे देखने पर मैंने अपने और इतिहास के बीच आत्मीयता का एक दुर्लभ पल देखा। समय का यह सार मेरी आँखों के सामने था। अब मौन मुखर था। लगा कि केवल यही एक जीवन है! यही पल है। यही वह वक़्त है जिसके लिए हम निश्चित हो सकते थे। शेष सब व्यर्थ है। आख़िर इतिहास पुकार रहा था। इस अज्ञात में गोता लगाना, उत्तेजना और आनंद से भर देने वाली चीज़ थी। मैं वहाँ अपने आप में स्थित नहीं था। मेरे कदम अपने आप पुरातन समय के कदमों के साथ-साथ, इस मौन यात्रा पर चल पड़े।

 

-श्रीकांत 

आलेख अहा! ज़िंदगी (दैनिक भास्कर) के March-2021 के अंक में प्रकाशित।

!^*^*^!

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